सोमवार शाम बातचीत के दौरान राखी ने बताया —
“मैं पूरे विधि-विधान से निर्जला उपवास रखती हूं और डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देती हूं। समाज के लोग और मेरे जजमान मेरे लिए परिवार जैसे हैं, मैं सबकी भलाई की प्रार्थना करती हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि बलिया के लोग उन्हें भरपूर सम्मान देते हैं और उनके सहयोग से ही उनकी आजीविका चलती है, इसलिए वह छठ मैया से सभी के कल्याण की कामना करती हैं।
राखी का यह कदम सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक माना जा रहा है। यह दर्शाता है कि छठ महापर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाला पर्व बन गया है।
मांग में सिंदूर और मंगलसूत्र पहनने के सवाल पर उन्होंने बताया —
“मैं यह अपने गुरु के सम्मान में पहनती हूं। इस व्रत में मेरे साथ मेरी गुरु पूजा किन्नर और पूरी टीम का विशेष सहयोग रहा।”
